30 Days Festival Competition लेखनी कहानी -17-Oct-2022 राम नवमी (भाग 24
शीर्षक:- राम नवमी
राम नवमी हिन्दुऔ का प्रमुख त्योहार है । यह त्योहार श्री राम के जन्म के उपलक्ष में मनाया जाता है। भगवान श्री राम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की की नवमी को अयोध्या मे हुआ था।
श्रीराम के जन्मदिवस के इस त्योहार को देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। देशभर के मंदिरों में इस दिन श्रीराम जन्मोत्सव पर कई कार्यक्रम रखे जाते हैं। अब तो अयोध्या में भी रामनवमी की धूम देखने लायक होती है। एक तो अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है, रामलला की मूर्ति टैंट से निकाल कर अस्थायी मंदिर में स्थापित की जा चुकी है। दूसरा अयोध्या की साज-सज्जा पर राज्य की सरकार विशेष दिलचस्पी लेती है जिससे अयोध्या नगरी अब सभी पर्वों पर जगमगाती रहती है।
राम चरितमानस मे मान्यता है कि भगवान श्रीराम का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। इसीलिए इस दिन तीसरे प्रहर तक व्रत रखा जाता है और दोपहर में मनाया जाता है राम महोत्सव। इस दिन व्रत रखकर भगवान श्रीराम और रामचरितमानस की पूजा करनी चाहिए।
इस रामनवमी के दिनलोग पुण्य सरयू नदी में स्नान करके पुण्य कमाते हैं। भगवान श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या में इस त्यौहार की विशेष धूम रहती है। अयोध्या का चैत्र रामनवमी मेला काफी प्रसिद्ध है जिसमें देश भर से लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। इस दिन देश भर के मंदिरों से रथ यात्राएं और भगवान श्रीराम, उनकी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण व भक्त हनुमान की झांकियां भी निकाली जाती है।
श्री राम अपने पिता राजा दशरथ के एक वचन का पालन करने हेतु 14 वर्ष तक वनवास काटने चले गए और माता कैकयी का भी उतना ही सम्मान किया। भातृ प्रेम के लिए तो श्रीराम का नाम सबसे पहले लिया जाता है। उन्होंने अपने भाइयों को अपने बेटों से बढ़ कर प्यार दिया।
इनके इसी भातृ प्रेम की वजह से उनके भाई उन पर मर मिटने को तैयार रहते थे। श्रीराम ने रावण का और अन्य असुरों को मारकर पापियौ का अन्त किया था।
भगवान श्रीराम अपने सेवकों तथा अनुयायियों का भी सदैव ध्यान रखते हैं। वह अपने सेवक हनुमानजी एवं अंगद के लिए हमेशा प्रस्तुत रहते थे। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को सर्वगुण संपन्न माना जाता है।
रामनवमी के दिन पूरे देश में उनके जन्म से लेकर वनवास व रावण बध तक की झांकियां निकाली जाती है। इस दिन व्रत रखने वालों को चाहिए कि वह प्रातः जल्दी उठ कर नित्यकर्म से निवृत्त होकर भगवान श्रीराम की मूर्ति को शुद्ध पवित्र ताजे जल से स्नान कराकर नये वस्त्राभूषणों से सज्जित करें और फिर धूप दीप, आरती, पुष्प, पीला चंदन आदि अर्पित करते हुए भगवान की पूजा करें।
श्री राम की मर्यादा की आजभी मिसाल दी जाती है। उन्होने अपने पूरे जीवन मे कही भी कभी भी मर्यादा भंग नही की।इसलिए उनको मर्या पुरुषोत्तम राम कहकर पुकारा जाता है रामायण में वर्णित श्रीराम जन्म कथा का श्रद्धा भक्ति पूर्वक पाठ और श्रवण तो इस दिन किया ही जाता है।
अनेक स्थानों पर रामायण का अखण्ड पाठ भी करवाते है। भगवान श्रीराम को दूध, दही, घी, शहद, चीनी मिलाकर बनाया गया पंचामृत तथा भोग अर्पित किया जाता है। भगवान श्रीराम का भजन, पूजन, कीर्तन आदि करने के बाद प्रसाद को पंचामृत सहित श्रद्धालुओं में वितरित करने के बाद व्रत खोलने का विधान है। रामनवमी के दिन मंदिर में अथवा मकान पर ध्वजा, पताका, तोरण और बंदनवार आदि से सजाने का नियम है। जगह जगह पर झांकिया निकाल कर पूजा आरती की जाती है।
रामचरितमानस को पवित्र ग्रन्थ माना जाता है सुबह शाम इसकी पूजा करके आरती की जाती है।
30 Days Fedtival Competition हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
19-Nov-2022 05:33 PM
शानदार
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Sushi saxena
10-Nov-2022 02:25 PM
Nice
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Khan
09-Nov-2022 10:05 PM
Shandar 🌸🙏
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